बुधवार, 30 अगस्त 2023

छुट्टी में संशोधन के आदेश पर पुनर्विचार करे सरकार

पटना. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के द्वारा बिहार के प्रारंभिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में अवकाश की कटौती पर शिक्षकों की नाराजगी उभरने लगी है। शिक्षक सरकार से मांग कर रहे है की उनसे अवकाश के अधिकार को न छीना जाए।

 इस पूरे प्रकरण पर टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के प्रदेश अध्यक्ष मार्कण्डेय पाठक ने बिहार सरकार से अपील करते हुए कहा है कि अचानक से शिक्षकों को विभिन्न पर्व त्योहारों में मिल रहे अवकाश से शिक्षक असंतुष्ट हो रहे है एवं इससे उन्हें सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। 

एक तो शिक्षक पहले ही अपने परिवार से कोशो दूर पदस्थापित है तथा इन्ही पर्व त्योहारों में वे अपने परिवार से मिल पाते है और दूसरा विभिन्न त्योहारों में छुट्टी रद्द कर देने से उनमें सरकार की प्रति उत्कंठा का भाव जागेगा एवं वे तनावग्रस्त हो सकते है। 

वही दूसरी ओर अगर बात की जाए वर्ष में शैक्षणिक दिवसों की तो वर्षभर में शिक्षकों को देय अवकाश को छोड़कर भी दो सौ बीस दिन से अधिक वर्ग संचालित हो जाती है एवं नई शिक्षा नीति में भी बच्चो के लिए विद्यालय का समय कम करने की बात की जा रही है। त्योहारों के समय इस प्रकार अवकाश रद्द कर देने से छात्रों को भी परेशानी होगी।

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 हम सरकार से अपील करते है की वे अपने आदेश पर पुनर्विचार करते हुए अपना आदेश वापस ले। इस आदेश से विगत दिनों शिक्षक और सरकार के मध्य जो विश्वास  कायम हुआ था वह भी टूट रहा है। अगर फिर भी विभाग को लगता है की जनगणना, आपदा चुनाव आदि से पढ़ाई प्रभावित हो रही है तो विभाग शिक्षकों को इन कार्यों से मुक्त रखे।

सरकार द्वारा धोषित राजकीय अवकाश को रद्द करना तानाशाही निर्णय, पदाधिकारी इस आदेश को शीध्र वापस लें अन्यथा शिक्षक आंदोलन को विवश होंगे ---डॉ गणेश शंकर पाण्डेय

पटना : नवनियुक्त माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ गणेश शंकर पाण्डेय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सरकार द्वारा धोषित राजकीय अवकाश को रद्द करना तानाशाही निर्णय है,पदाधिकारी इस तुगलकी फरमान को शीध्र वापस लें अन्यथा सूबे के शिक्षक इस तुगलकी फरमान के विरोध में आंदोलन को बाध्य होंगे।

उन्होंने कहा कि विभाग के पदाधिकारी द्वारा त्योहारों की छुट्टी रद्द करना अन्याय है, इससे छात्र -छात्राओं में काफी आक्रोश है। शिक्षा में सुधार का यह मतलब कदापि नहीं है कि सरकार और विभाग के पदाधिकारी शिक्षकों को परेशान और प्रताड़ित करें, उन्होंने कहा कि सूबे के शिक्षक कम संसाधन और शिक्षकों की कमी के बाद विद्यालयों में गुणवत्ता शिक्षा को लेकर कटिबद्घ हैं,बाबजूद सरकार व पदाधिकारी शिक्षकों को अनावश्यक परेशान करने पर तुले हुए हैं, उन्होंने कहा कि त्योहारों की छुट्टी को रद्द करना भारतीय संस्कृति के साथ क्रुर मजाक है,उन्होंने सरकार और विभाग के पदाधिकारिओं से अनुरोध किया कि वे छुट्टी रद्द करने के निर्णय को को शीध्र वापस लें, अन्यथा सूबे के शिक्षक आंदोलन को विवश होंगे। 
      

नियोजित शिक्षकों के ट्रान्सफर मुद्दे पर Court ने सरकार को फटकार लगाई |


नियोजित शिक्षकों के ट्रान्सफर मुद्दे पर Court ने सरकार को फटकार लगाई | अगली बार सरकार काउंटर एफिडेविट दाखिल नहीं करेगी तो एकतरफा फैसला सुना देगी कोर्ट...

https://youtu.be/2tTAWPyXI_0

सुनवाई के बाद अपीलकर्ता के वकील ने बताया कि सरकार इसके पूर्व चार बार डेट ले चुकी है। कोर्ट ने अंतिम मौका देते हुए कहा कि अगर अगली सुनवाई में सरकार अपना पक्ष नहीं रखती है तो न्यायालय नियोजित शिक्षकों के पक्ष में एकतरफा फैसला सुना सकती है।

अब 06 माह से पहले नहीं बन पाएंगे राज्यकर्मी

पटना : अब बिहार के शिक्षक बनने के लिए अभी और करना होगा इन। बिहार के अपर मुख्य सचिव के पत्र को माने तो अभी BPSC द्वारा बहाली होने में 5-6 महीने का वक्त लगेगा। ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 15 अगस्त 2023 को गाँधी मैदान से घोषणा की गई थी कि बिहार के नियोजित शिक्षकों को BPSC से बहाली के बाद सरकारीकरण करने की बात इशारों इशारे में कहा था।
ज्ञात हो कि इसके पूर्व में सभी दलों के प्रमुख नेताओं और शिक्षक एमएलसी के साथ वार्ता में भी सकारात्मक बातों की चर्चा जोड़ो पर थी। 
ऐसे में देखने वाली बात है कि जब तक बीपीएससी से बहाली नहीं हो जाती है तब तक शिक्षकों के राज्यकर्मी के मुद्दे पर कुछ भी कहना मुश्किल

मंगलवार, 29 अगस्त 2023

छुट्टी रद्द होने से बिहार के शिक्षको में गुस्सा | विरोध के सुर तेज होने के आसार,,। अब शिक्षक चुप नहीं बैठेंगे

Patna : बिहार सरकार के माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा एक पत्र जारी किया गया है जिसमे विभिन्न पर्व त्योहार की छुट्टियों को रद्द कर दिया गया है और दुर्गा पूजा दीवाली और छठ की छुटियों में कटौती कर दिया गया है जिससे शिक्षक समाज मे रोष व्याप्त है।



 शिक्षक नेता सह बिहार पंचायत नगर प्राथमिक शिक्षक संघ (मूल) के प्रदेश महासचिव जयंत कुमार सिंह ने कहा कि अत्यंत दुख के साथ अब महसूस ही नहीं हो रहा बल्कि यह एक्सेप्ट करना होगा कि हम लोग आजाद देश के गुलाम शिक्षक हो चुके है।


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शिक्षा विभाग ने छुट्टियों का बजाया बैंड | 14 छुट्टी रद्द करने से शिक्षक समाज मे आ*क्रोश


उन्होंने आगे कहा कि माननीय नीतीश कुमार जी को को शिक्षा में सुधार से मतलब नहीं है। जानबूझकर शिक्षकों को प्रताड़ित किया जा रहा है। शिक्षको और स्कूली बच्चों को साल में 60 दिन का अवकाश बिहार शिक्षा संहिता सेवा के आधार पर कानून के तहत मिलताआ रहा है। गौर करने की बात है आज जो बिहार सरकार के द्वारा संशोधित अवकाश पत्र निकाला गया है उसमें इस बात की चर्चा भी है कि शिक्षा अधिकार कानून के तहत साल में 200 से 220 दिन प्रारंभिक स्कूलों में अध्ययन अध्यापन के लिए खोलना है। 


इस प्रकार साल में 365 दिनों में60 पर्व त्यौहार का छुट्टी और52 रविवार दोनों मिलकर 112 दिन छुट्टी होता है इस प्रकार365-112=253 दिन होता है 220 दिन के जगह 253 दिन हो जाता है तो फिर किस हिसाब से छुट्टी कटौती की गई है समझ से परे है? उन्होंने कहा- "सीधा-सीधा शिक्षकों को मानसिक रूप से परेशान करने की गहरी साजिश है!"




उन्होंने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि इस घटना से मैं काफी मर्माहत हूं और संगठन का नाम लिखने एवं अपने आप को नेता कहने का हिम्मत हमारे अंदर नहीं हो पा रहा है अपने आप को पंगु महसूस कर रहा हूं शायद इस घटना के बाद भी सभी शिक्षकों और शिक्षक नेताओं का जमीर जाग जाए!


आज जारी किये गए नए अवकाश तालिका के अनुसार सभी जिले का लगभग 12 से 15 दिन की छुट्टी कटौती का आदेश निर्गत करना सरकारी स्कूल के शिक्षको के साथ साथ शिक्षा अधिकार कानून  के आलोक में शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ साथ स्कूली बच्चों का भी शोषण है।


 उन्होंने आगे कहा- अफसरशाही की परकाष्ठा है। सरकार  से लड़ने के लिए सभी संगठन कमर कस लें या अपने आप को संगठन  का नेता कहना बन्द कर दें। जब हम सभी शिक्षकों के साथ हो रहे अन्याय और शोषण के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते तो हमें नेता कहाने और संगठन चलाने का अधिकार भी नहीं है।

            



राज्यकर्मी जरूर मिलेगा -मार्कण्डेय पाठक

बिहार के शिक्षकों पर चला के के पाठक का डंडा , 6000 शिक्षकों का कटा वेतन

बिहार पटना :–बिहार में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का वेतन बड़ी संख्या में शिक्षा विभाग ने काटा है , बताया जाता हैं कि पहले भी लगभग 11 हजार शिक्षकों का वेतन शिक्षा विभाग ने काटा है , अब 6 हजार और शिक्षकों का वेतन काटने की तैयारी शिक्षा विभाग ने शुरू कर दी है।


शिक्षकों के वेतन कटौती विद्यालयों में शिक्षकों की अनुपस्थिति के कारण हो रही हैं । शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने विद्यालयों का निरीक्षण किया जिसमें विद्यालयों में अनुपस्थित मिले शिक्षकों पर शिक्षा विभाग करवाई की तैयारी शुरू कर चुकी हैं ।

बिहार की शिक्षा विभाग को दुरुस्त करने में लगे एसीएस केके पाठक लगातार सख्त फैसले ले रहे हैं। स्कूलों में शिक्षक नियमित आएं, इसके लिए उन्होंने सख्त आदेश दिए कि स्कूलों से पूर्व अनुमति के बगैर गायब रहने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों को लेकर शिक्षा विभाग सख्त है और कार्रवाई की जाएगी।

विभाग में भी यह नजर भी आने लगा है। शिक्षा विभाग ने पिछले दो माह में छह हजार से भी अधिक शिक्षकों का वेतन काटा है। वहीं, 55 शिक्षकों को गैरहाजिर रहने समेत विभिन्न मामलों में निलंबित किया गया है।

जिलों से प्राप्त रिपोर्ट बताती है कि राज्य के चार जिले पूर्वी चंपारण, जमुई, शिवहर और सारण जिले में एक जुलाई से लेकर अभी तक एक भी शिक्षक का वेतन नहीं काटा गया है। वहीं, भागलपुर जिले में दो, अरवल में तीन तथा खगड़िया और रोहतास में नौ-नौ शिक्षकों का वेतन कटा है। अन्य जिलों में दस से लेकर 300 शिक्षकों तक का वेतन काटा गया है।

बीते दो महीने के भीतर 55 शिक्षकों को विभिन्न कारणों से निलंबित किया गया है। इन सबसे ज्यादा करीब 26 शिक्षक एक ही जिले सीतामढ़ी से हैं। दूसरे नंबर पर बांका जिला है, जहां 6 शिक्षक सस्पेंड हुए हैं। बीते दो महीने में राज्य के 24 जिलों मेंएक भी शिक्षक निलंबित नहीं हुआ है।

हर एक विद्यालय का सप्ताह में कम-से-कम दो बार निरीक्षण हो, इसका आदेश विभाग ने जारी किया है। साथ ही जिलों से निरीक्षण की रिपोर्ट भी प्रतिदिन विभाग को जिलों के माध्यम से प्राप्त हो रही है। जिलों को निर्देश है कि निरीक्षण में न सिर्फ अनुपस्थित पाए गए शिक्षक, बल्कि उनपर करवाई हुई है, इसकी रिपोर्ट विभाग को करना है।जिससे अब शिक्षक भी समय पर स्कूल पहुंच रहे हैं।

सोमवार, 28 अगस्त 2023

नियोजित शिक्षकों के ट्रान्सफर मुद्दे पर Court ने सरकार को फटकार लगाई |

 



PATNA : नियोजित शिक्षकों के ट्रान्सफर मुद्दे पर Court ने सरकार को फटकार लगाई | अगली बार सरकार काउंटर एफिडेविट दाखिल नहीं करेगी तो एकतरफा फैसला सुना देगी कोर्ट...
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सुनवाई के बाद अपीलकर्ता के वकील ने बताया कि सरकार इसके पूर्व चार बार डेट ले चुकी है। कोर्ट ने अंतिम मौका देते हुए कहा कि अगर अगली सुनवाई में सरकार अपना पक्ष नहीं रखती है तो न्यायालय नियोजित शिक्षकों के पक्ष में एकतरफा फैसला सुना सकती है।

रविवार, 27 अगस्त 2023

अब 06 माह से पहले नहीं बन पाएंगे राज्यकर्मी

 पटना : अब बिहार के शिक्षक बनने के लिए अभी और करना होगा इंतज़ार। बिहार के अपर मुख्य सचिव के पत्र को माने तो अभी BPSC द्वारा बहाली होने में 5-6 महीने का वक्त लगेगा। ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 15 अगस्त 2023 को गाँधी मैदान से घोषणा की गई थी कि बिहार के नियोजित शिक्षकों को BPSC से बहाली के बाद सरकारीकरण करने की बात इशारों इशारे में कहा था। 

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अभी 06 माह राज्यकर्मी के लिए करना होगा इंतज़ार

ज्ञात हो कि इसके पूर्व में सभी दलों के प्रमुख नेताओं और शिक्षक एमएलसी के साथ वार्ता में भी सकारात्मक बातों की चर्चा जोड़ो पर थी। 


ऐसे में देखने वाली बात है कि जब तक बीपीएससी से बहाली नहीं हो जाती है तब तक शिक्षकों के राज्यकर्मी के मुद्दे पर कुछ भी कहना मुश्किल है और शिक्षक बहाली 6 माह में भी हो ही जाएगी इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। जरा भी बहाली में लेट हुआ तो लोकसभा का इलेक्शन भी होने वाला है उसका आचार संहिता लगने के बाद फिर कब तक होगी राज्यकर्मी का घोषणा ये भी कहना मुश्किल है। फिर 2025 में भी विधानसभा का चुनाव है। ऐसे में साल दो साल भी लग सकता है।
कुल मिलाकर कहे तो नीतीश कुमार चाहेंगे तो ही घोषणा हो सकती है।

शनिवार, 26 अगस्त 2023

शिक्षक अब मेंटर की भूमिका में | TEACHER NOW IN MENTORS ROLL

किसी देश के निर्माण में एक शिक्षक यानी गुरु का बहुत बड़ा योगदान होता है। आज के दौर में शिक्षक केवल पढ़ाने वाला शिक्षक ही नहीं है बल्कि मेंटर (mentor) यानी पथ प्रदर्शक भी है।  शिक्षक केवल शिक्षा ही नहीं देता बल्कि छात्र को सही दिशा प्रदान करता, जिससे उसका विकास हो सके।  आइए इस लेख से जाने की एक शिक्षक किस तरह से मेंटर की भूमिका में आ सकता है। मेंटर का अर्थ गाइडिंग करने वाला व्यक्ति होता है। पढ़ाई हमें ज्ञान देता है लेकिन समाज में उसका उपयोग कैसे करना है, अपना भविष्य कैसे बनाना है? इन सब बातों को व्यवहारिक तौर पर लागू करना और छात्रों की समस्याओं का समाधान एक टीचर के रूप में मैंटर ही 
कर सकता है।



 नई शिक्षा नीति के अनुसार एक मेंटर बच्चों में चरित्र का विकास और उसमें नैतिक विकास का बीज रोपण करता है।  मेंटर की भूमिका समाज में बहुत बड़ी होती है और शिक्षक को एक मेंटर होना चाहिए क्योंकि वह अपने छात्रों को सही दिशा और उसके सही भविष्य के लिए उनकी सहायता कर सकें। Now Teacher As Mentor की भूमिका में है।

 

शिक्षक को मेंटर बनने की ट्रेनिंग

अगर हम दार्शनिक दृष्टिकोण डाले तो वास्तव में एक शिक्षक गुरु हमारे गुरुकुल में एक मेंटर की भूमिका में ही होते थे। गुरुकुल में पढ़ाने वाले गुरु शिष्य के संपूर्ण व्यक्तित्व निर्माण करते थे। नैतिक मूल्य और चरित्र के विकास में गुरुकुल का बड़ा ही योगदान होता था और उसमें  ज्ञान देने वाले गुरु एक तरह से पथ प्रदर्शक मेंटर ही होते थे। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों को मेंटर बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग हमारे गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में और भारतीय दर्शन में पथ प्रदर्शक यानी मेंटर के ज्ञान को आधुनिक शिक्षकों में ट्रेनिंग के माध्यम से दिया जा रहा है। (Now Teacher As Mentor)

 

शिक्षक की सोच मेंटर वाली क्यों होनी चाहिए?

टीचिंग के यूनिक प्रोफेशन में खुद को एक प्रोफेशनल से ज्यादा शिक्षक एक राष्ट्र निर्माता यानी नेशन बिल्डर की तरह स्वयं को देखता है। बच्चों को सही ज्ञान के साथ सही मार्गदर्शन करना,  शिक्षक के रूप में मेंटर का काम होता है।  आइए जानें कि किस तरह से एक शिक्षक स्वयं को मेंटर  बना सकता है और  वह छात्रों के भविष्य को संवार सकता है। 

  • किसी भी बालक को शिक्षा से ज्यादा उसे गाइडेंस की आवश्यकता होती है। यह गाइडेंस एक मेंटर ही दे सकता है। 
  •  पहले एक शिक्षक की तरह सोचते थे लेकिन जब आप एक मेंटर की तरह सोचना शुरु करेंगे।   बच्चों की समस्या का समाधान प्रश्न पूछने के लिए बच्चों को प्रेरित करेंगे तो  उनकी हर समस्याओं का समाधान आप बड़ी आसानी से दे सकते हैं।
  •  हर बच्चे में विश्लेषणात्मक सोच की शक्ति पैदा करने के लिए अपने पढ़ाने के तरीके में बदलाव लाएंगे।
  •  अपने विषय वस्तु को पढ़ाते समय उसमें नैतिकता और चरित्र निर्माण के टूल्स की तरह इस्तेमाल करेंगे। नयी तकनीक और नये तरीके कक्षा में पढ़ते समय प्रयोग करेंगे।
  •   रोज अपने अनुभव को डायरी में लिपिबद्ध करेंगे।  
  • शिक्षा से संबंधित लेखन कार्य से लोगों को जागरूक भी करेंगे।
  •   पढ़ाने के तरीके में  नए टीचिंग मेथड उपयोग किया जाएगा।  खेल खेल में प्रभावशाली शिक्षा देने के लिए नए टीचिंग मेथड अपनाया जाएगा। 
  •  दुनिया में शिक्षा के लिए कौन-कौन से सुधार हो रहे हैं, और कौन-कौन से अनुसंधान हो रहे हैं, उनकी जानकारी रखना और नए प्रयोग करके अपने देश में शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाना।  इस काम के लिए भी होते हैं।
  •  व्यवहारिक रुप से बदलाव की ओर अग्रसर होंगे और चिंतन मनन के द्वारा नए तरीकों को भी खोजने की पहल करेंगे और अपने साथी टीचरों से यह बात साझा भी करेंगे। इसके लिए विभिन्न प्रकाशन माध्यम और डिजिटल माध्यम का प्रयोग भी आप करेंगे।

रविवार, 20 अगस्त 2023

नियोजित शिक्षकों को मिला कांग्रेस का साथ।

नई शिक्षक नियमावली के विरोध में उतरी कांग्रेस,  कांग्रेस मुख्यमन्त्री नीतीश कुमार के लिए बन गए गले की घण्टी, अब नियोजित शिक्षकों को हॉग्स बड़ा फायदा


बिहार :–शिक्षक नियुक्ति नियमावली को लेकर बिहार के शिक्षकों का विरोध जारी है. अब सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक दलों ने भी इस पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी है. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध किया है कि पिछले कई वर्षों से पढ़ा रहे शिक्षकों के प्रति सहानुभूति दिखाने की आवश्यकता है.

कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने रविवार को कहा कि नई शिक्षक नियोजन प्रणाली पर बिहार के मुख्यमंत्री से हम भी अनुरोध करेंगे कि इस पर वे सहानुभूति पूर्वक निर्णय लें. जिन शिक्षकों ने लंबे अरसे तक पढ़ाया है उनके समायोजन पर भी विचार किया जाए.

उन्होंने कहा कि नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली को हमलोग भी उचित नहीं मानते हैं. जिन शिक्षकों ने 15 वर्ष तक पढ़ाया अब उनकी योग्यता पर सवाल किया जा रहा है. इसे हम लोग उचित नहीं मानते हैं. उनके समायोजन का भी विचार किया जाए. इसके पहले वामपंथी दलों ने भी नीतीश सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई थी. अब कांग्रेस भी इस मुद्दे पर नीतीश सरकार के खिलाफ हो गई है. वहीं शिक्षकों ने पहले ही इस मुद्दे पर आंदोलन की धमकी दे रखी है.

इस बीच, जातीय जनगणना के मुद्दे पर अखिलेश सिंह ने भाजपा को जमकर लताड़ा. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर पटना हाई कोर्ट ने जो निर्णय दिया है उस पर अब बिहार सरकार फिर से कोर्ट गई है. उन्होंने कहा कि भाजपा का यह आरोप कि नीतीश सरकार की मंशा ही जातीय गणना कराने की नहीं है पूरी तरह से बेबुनियाद है. उन्होंने दावा किया कि भाजपा के लोग ही हाईकोर्ट गए थे और गणना पर रोक की मांग की. ऐसे में बिहार की जनता जानती है कि किसकी मनसा जाति गणना पर रोक लगाने की थी.

वहीं बिहार में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर अखिलेश ने कहा कि बजरंग दल की जो मनसा और कारगुजारियां रही हैं उसे भारतीय जनमानस के लोग नहीं स्वीकारते हैं. भारतीय संविधान सभी जाति और धर्म के लोगों को एक समान दृष्टि से देखता है. उसी के अनुसार चलता है. ऐसे में बजरंग दल को भारतीय जनमानस स्वीकार नहीं करता है .

हमें के खिलाफ महिला शिक्षिका ने उठाई आवाज, तो मिली गालियाँ और प्रताड़ना!

सीतामढ़ी: मंहथ विजयानंद गिरी उच्च माध्यमिक विद्यालय, मानिक चौक में महिला शिक्षिका मीनाक्षी कुमारी ने वित्तीय अनियमितता का विरोध ...