किसी देश के निर्माण में एक शिक्षक यानी गुरु का बहुत बड़ा योगदान होता है। आज के दौर में शिक्षक केवल पढ़ाने वाला शिक्षक ही नहीं है बल्कि मेंटर (mentor) यानी पथ प्रदर्शक भी है। शिक्षक केवल शिक्षा ही नहीं देता बल्कि छात्र को सही दिशा प्रदान करता, जिससे उसका विकास हो सके। आइए इस लेख से जाने की एक शिक्षक किस तरह से मेंटर की भूमिका में आ सकता है। मेंटर का अर्थ गाइडिंग करने वाला व्यक्ति होता है। पढ़ाई हमें ज्ञान देता है लेकिन समाज में उसका उपयोग कैसे करना है, अपना भविष्य कैसे बनाना है? इन सब बातों को व्यवहारिक तौर पर लागू करना और छात्रों की समस्याओं का समाधान एक टीचर के रूप में मैंटर ही
कर सकता है।
नई शिक्षा नीति के अनुसार एक मेंटर बच्चों में चरित्र का विकास और उसमें नैतिक विकास का बीज रोपण करता है। मेंटर की भूमिका समाज में बहुत बड़ी होती है और शिक्षक को एक मेंटर होना चाहिए क्योंकि वह अपने छात्रों को सही दिशा और उसके सही भविष्य के लिए उनकी सहायता कर सकें। Now Teacher As Mentor की भूमिका में है।
शिक्षक को मेंटर बनने की ट्रेनिंग
अगर हम दार्शनिक दृष्टिकोण डाले तो वास्तव में एक शिक्षक गुरु हमारे गुरुकुल में एक मेंटर की भूमिका में ही होते थे। गुरुकुल में पढ़ाने वाले गुरु शिष्य के संपूर्ण व्यक्तित्व निर्माण करते थे। नैतिक मूल्य और चरित्र के विकास में गुरुकुल का बड़ा ही योगदान होता था और उसमें ज्ञान देने वाले गुरु एक तरह से पथ प्रदर्शक मेंटर ही होते थे। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों को मेंटर बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग हमारे गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में और भारतीय दर्शन में पथ प्रदर्शक यानी मेंटर के ज्ञान को आधुनिक शिक्षकों में ट्रेनिंग के माध्यम से दिया जा रहा है। (Now Teacher As Mentor)
शिक्षक की सोच मेंटर वाली क्यों होनी चाहिए?
टीचिंग के यूनिक प्रोफेशन में खुद को एक प्रोफेशनल से ज्यादा शिक्षक एक राष्ट्र निर्माता यानी नेशन बिल्डर की तरह स्वयं को देखता है। बच्चों को सही ज्ञान के साथ सही मार्गदर्शन करना, शिक्षक के रूप में मेंटर का काम होता है। आइए जानें कि किस तरह से एक शिक्षक स्वयं को मेंटर बना सकता है और वह छात्रों के भविष्य को संवार सकता है।
- किसी भी बालक को शिक्षा से ज्यादा उसे गाइडेंस की आवश्यकता होती है। यह गाइडेंस एक मेंटर ही दे सकता है।
- पहले एक शिक्षक की तरह सोचते थे लेकिन जब आप एक मेंटर की तरह सोचना शुरु करेंगे। बच्चों की समस्या का समाधान प्रश्न पूछने के लिए बच्चों को प्रेरित करेंगे तो उनकी हर समस्याओं का समाधान आप बड़ी आसानी से दे सकते हैं।
- हर बच्चे में विश्लेषणात्मक सोच की शक्ति पैदा करने के लिए अपने पढ़ाने के तरीके में बदलाव लाएंगे।
- अपने विषय वस्तु को पढ़ाते समय उसमें नैतिकता और चरित्र निर्माण के टूल्स की तरह इस्तेमाल करेंगे। नयी तकनीक और नये तरीके कक्षा में पढ़ते समय प्रयोग करेंगे।
- रोज अपने अनुभव को डायरी में लिपिबद्ध करेंगे।
- शिक्षा से संबंधित लेखन कार्य से लोगों को जागरूक भी करेंगे।
- पढ़ाने के तरीके में नए टीचिंग मेथड उपयोग किया जाएगा। खेल खेल में प्रभावशाली शिक्षा देने के लिए नए टीचिंग मेथड अपनाया जाएगा।
- दुनिया में शिक्षा के लिए कौन-कौन से सुधार हो रहे हैं, और कौन-कौन से अनुसंधान हो रहे हैं, उनकी जानकारी रखना और नए प्रयोग करके अपने देश में शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाना। इस काम के लिए भी होते हैं।
- व्यवहारिक रुप से बदलाव की ओर अग्रसर होंगे और चिंतन मनन के द्वारा नए तरीकों को भी खोजने की पहल करेंगे और अपने साथी टीचरों से यह बात साझा भी करेंगे। इसके लिए विभिन्न प्रकाशन माध्यम और डिजिटल माध्यम का प्रयोग भी आप करेंगे।
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