बेगूसराय (बिहार)। बिहार में छुट्टी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। छुट्टी की कटौती वापस होने के बाद शिक्षा विभाग ने बच्चों की पढ़ाई तय मानक के अनुसार नहीं होने का मामला उठाया। इसे शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने इसे आधारहीन और तथ्यहीन बताया। वार्षिक अवकाश तालिका के बजाय 220 दिन के कार्य दिवस का कैलेंडर जारी करने की मांग की।
गलत तर्क दे रहा है विभाग
मोर्चा ने कहा कि विभाग आम जनमानस में ये प्रचारित करने का प्रयास कर रहा हैं कि सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन नहीं होता है। यह अत्यंत ही खेदजनक की बात है। शिक्षकों का मनोबल गिराने जैसा है। विभाग ने शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार एक से पांच तक के प्रारंभिक विद्यालयों के लिए 200 दिन और छह से आठ वर्ग तक के मध्य विद्यालयों के लिए 220 दिन पढ़ाई नहीं होने के तर्क को बल देने के लिये गलत और तथ्यहीन तर्क प्रस्तुत किया है।
अनावश्यक बवाल हो रहा
शिक्षक संघर्ष मोर्चा के सदस्य सह टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के राज्य संयोजक राजू सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा छुट्टी को लेकर अनावश्यक बवाल मचाया जा रहा है। जनता को गुमराह किया जा रहा है। शिक्षा अधिकार कानून की अनदेखी की जा रही है। जनता को यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा कि शिक्षक छुट्टी के लिए परेशान रहते हैं। बच्चों को पढ़ाते नहीं हैं। पिछले 10 वर्ष के शैक्षणिक सत्र (अप्रैल से मार्च) का किसी भी जिले से रिपोर्ट मंगवा कर देख लिया जाए तो स्पष्ट हो जाएगा कि हर वर्ष न्यूनतम 230 और अधिकतम 253 दिनों तक विद्यालय खुले रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई होती रही है।
गरिमा को आहत नहीं करें
शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग से मांग की है कि अगले वर्ष से छुट्टी का कैलेंडर जारी नहीं किया जाए। उसकी जगह आरटीई के आलोक में प्रारंभिक विद्यालयों के लिए 200 दिन और मध्य विद्यालयों के 220 दिन के कार्य दिवस का कैलेंडर जारी किया जाए। इससे सारा झंझट ही समाप्त हो जाएगा। विभाग शिक्षकों की गरिमा को आहत नहीं करें। जनता को गुमराह नहीं करें।
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